Valley of Flowers: 15 दिन में बदल जाता है घाटी का रंग

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Valley of Flowers: हैलो दोस्तों नमस्कार ,अगर आप भी अपनी रोज़मर्रा की जिन्दगी से ऊब चुके हैं, तो बने रहिए हमारे साथ हम बताऐंगे आपको एक ऐसी दुनिया के बारे में जो आपकी जिंदगी में नया जोश और उमंग भर देगी। जी हा़ं हमारे भारत (India) देश (Country) में ही मौजूद है, यह स्थान जहां घूमनें (Places to Visit in Uttarakhand) पर आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे और इस जगह को छोड़कर जाने का भी मन नहीं करेगा। इस सपनों जैसी दुनिया का नाम है, फूलों की घाटी (Valley of Flowers)
देवभूमि (Land of the Gods) कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में स्थित है और यह अल्पाइन फूलों (Alpine Flowers) के घास (Grass) के मैदानों और वनस्पतियों की विविधता के लिए मशहूर (Famous) है। आइए जानते है इस जगह के बारे में विस्तारपूर्वक –

फूलों की घाटी , उत्तराखंड | Valley of Flowers National Park, Uttarakhand

यह जगह भारत की देवभूमि (उत्तराखंड) चमोली में स्थित है, इस राज्य (State) के बारे में कहा जाता है कि यह देवी-देवताओं का प्रिय निवास स्थल है। इसलिए इस पावन भूमि (Holy Place) को स्थानीय लोगों ने देवभूमि की संज्ञा से इसे सुशोभित किया है। फूलो की घाटी अपने अदंर अनेको रहस्य (Mystery) समाये हुए है। कहा जाता है, कि रामायण (Ramayana) काल में लक्ष्मण जी (Lord Lakshman ji) की मूर्छा दूर करने के लिए हनुमान जी (Hanuman Ji) संजीवनी बूटी (Sanjeevani Booti) लेने इस घाटी (Velly) में ही आए थे। फूलों की घाटी पुष्पावती नदी (Pushpavati River) की घाटी में स्थित है।
इस घाटी में कई फिल्मों (Movie) के सुन्दर , मनोहारी दृश्यों का भी चित्रांकन किया गया है। युनेस्को (UNESCO) ने इसे वैश्विक धरोहर स्थल घोषित किया है, समुद्र तल से 3352 से 3658 मीटर ऊपर स्थित फूलो की घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (Nanda Devi National Park) का ही एक खूबसूरत भाग है। इस क्षेत्र में कई दुर्लभ प्रजातियों के फूलों, जड़ी-बूटियों और जीव-जंतुओं को देखा जा सकता है।

History of Valley of Flowers | इतिहास

किंवदंती के अनुसार , “रामायण काल में हनुमान जी (Lord Hanuman) संजीवनी बूटी (Sanjeevani Booti) की खोज में”। इसी घाटी में आए थे। फूलों की घाटी की खोज 1931 में इसके खोजकर्ता के रूप में मशहूर ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ (Frank S Smith) और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ (R.L.Holdsworth) थी। वर्ष ,1980 में भारत सरकार द्वारा फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और 2005 में यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया गया हैं। 1988 के दौरान नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना के दौरान फूलों की घाटी को मुख्य क्षेत्र घोषित किया गया था।

फूलों की प्रजातियां

इसमें फूल ज्यादातर ऑर्किड , पॉपी , प्रिमुला, गेंदा , डेज़ी और एनीमोन जमीन पर फूलों से बनी कालीन बिछाते हैं। और अन्य डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, , कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, , अनाफलिस, , लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, , कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान आदि प्रमुख पुष्प प्रजातियां भी पायी जाती हैं। जो कि पर्यटकों को अपने मोह जाल में फसाने में कारगर है। इस स्वर्ग जैसी जगह पर घूमनें आपको जरूर एक बार आना चाहिए।

औषधीय वनस्पतियां

औषधि गुणों से परिपूर्ण कई दुर्लभतम वनस्पतियां यहां मौजूद है जो कि पूरी दुनियां में सिर्फ इसी स्थान पर पायी जाती है। जिनमें डैक्टाइलोरिज़ा हतागिरिया ,पिक्रोराइजा कुरूआ , एकोनिटम वायलेसियम , पॉलीगोनैटम मल्टीफ्लोरम , फ्रिटिलारिया रोयली और पॉडोफिलम हेक्सेंड्रम आदि प्रमुख वनस्पतियां शामिल हैं।

जीव-जंतु

ग्रे लंगूर,लाल विशाल उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयी काला भालू, रेड फॉक्स , हिमालयन नेवला , और हिमालयन येलो-थ्रोटेड , हिमालयन गोरल ,हिमालयी कस्तूरी मृग , भारतीय चित्तीदार शेवरोटेन , हिमालयन तहर और तहर आम है, लेकिन कुछ दुर्लभ जीव-जंतु जैसे , गोरल, कस्तूरी मृग और भारल , नीली भेड़ हैं।

सरीसृप और पक्षी

सरीसृपों में, सबसे ज्यादा बार काफी ऊंचाई वाली छिपकली , हिमालयन ग्राउंड स्किंक और हिमालयन पिट वाइपर को देखा गया हैं । फूलों के साथ-साथ कई सुंदर जंगली मधुमक्खियां और तितलियों की कई प्रजातियां पायी जाती है। जैसे लाइम बटरफ्लाई , कॉमन येलो स्वेलटेल , कॉमन मॉर्मन पैपिलियो , स्पैंगल पैपिलियो और कॉमन ब्लू आदि प्रमुख है।

घाटी में पक्षी वर्ग में अक्सर देखी जाने वाली प्रजातियों में लैमर्जियर , हिमालयन गिद्ध , पीले-बिल्ड और रेड-बिल्ड , कोक्लास तीतर , हिमालयी मोनाल तीतर जो रोडोडेंड्रॉन झाड़ियों में पाए जाते हैं । पपड़ीदार और येलनैप कठफोड़वा , ग्रेट और ब्लू-थ्रोटेड , हिम कबूतर और चित्तीदार कबूतर प्रमुख रूप से पाए जाते है।

संरक्षण प्रबंधन

इस उद्यान को उत्तराखंड राज्य के वानिकी विभाग, राष्ट्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत द्वारा प्रशासित किया जाता है। यहां पर कोई बस्ती नहीं है और 1983 में इसके संरक्षण को ध्यान में रखते हुए। स्थानीय लोगों द्वारा अपने पशुओं की इस क्षेत्र में चराई पर प्रतिबंध लगा दिया गया ।

Time to Visit at Valley of Flowers | फूलों की घाटी घूमने का समय

अगर आप भी फूलों की घाटी के दीदार के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको यहां जाने का सही समय भी जानना जरूरी हैं, यहां यात्रा करने का सबसे अच्छा समय (Time To Travel Valley of Flowers) जुलाई और सितंबर (July and September) की शुरुआत में है, जब मानसून के ठीक बाद घाटी फूलों की चादर ओढ़ कर किसी दुल्हन की तरह अपने प्राकृतिक आभूषणों से सज-धज के तैयार होती है। यह उद्यान जून से अक्टूबर तक गर्मियों के दौरान केवल 4 से 5 महीनों के लिए खुला रहता है। सितंबर में यहां ब्रह्मकमल खिलते हैं।

जो कि पर्यटकों की धार्मिक ,आस्था के लिए अधिक महत्व रखते है इस घाटी की अनुपम सुन्दरता का दीदार करने दूर-दूर से पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। पर्यटकों को राष्ट्रीय उद्यान के अंदर रहने की अनुमति नहीं है इसलिए घांघरिया में आप आवास प्राप्त कर सकते है।

फूलों की घाटी के स्थानीय भोजन की जानकारी

स्थानीय भोजन

फूलों की घाटी में आपको स्थानीय व्यंजन में आपको यहां भांग की चटनी, गढ़वाल का पन्हा, कफुली, फानू, बड़ी, चैन्सू, कंडाली का साग, कुमाऊनी रायता, आलू का झोल, डुबुक, झंगोरा की खीर, गुलगुला, अर्सा और सिंगोरी आदि तरह के स्थानीय पकवान का जायका लेने का अवसर प्राप्त होगा। जिनको खाने के बाद आप खाने की तारीफ करने से खुद को रोक नही पाएंगे।

अनुमति

फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों को घांघरिया में वन विभाग से यहां घूमनें के लिए परमिट बनवाना पड़ता है। यह परमिट तीन दिनों (3 Days) के लिए वैध(मान्य) होता है। यहां पर दिन (Day) के समय ही घूमने और ट्रेकिंग की अनुमति दी जाती है।

आवागमन ट्रेन द्वारा:

फूलों की घाटी पहुचनें का सबसे नजदीकी (Nearest Railway Station To Valley of Flowers) रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (Rishikesh) है लेकिन सड़क मार्ग द्वारा फूलों की घाटी की यात्रा जोशीमठ (Joshimath) से लगभग 16 किमी दूर ऋषिकेश बद्रीनाथ (Badrinath) राजमार्ग पर गोविंदघाट (1,770 मीटर) में शुरू होती है।फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए सभी पर्यटकों को लगभग 17 किमी की पर्वतीय क्षेत्रों में चढ़ाई करनी पड़ती है।

निष्कर्ष | Valley of Flowers

इस आर्टिकल में हमनें उत्तराखंड में घूमने की जगह फूलों की घाटी (The Valley of Flowers In India In Hindi) के बारे में विस्तृत तरह से बताया हैं, जो यात्रा को सरल और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। हमें आशा है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा।

Valley of Flowers National Park से संबंधित आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं और इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

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