Hanuman Mandir: भारत में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ो, हरे-भरे उद्यान और शांत समुद्र तट जैसे अद्वितीय स्थानों के अतिरिक्त देखने और करने के लिए बहुत कुछ मौजूद है। आप भारत की रहस्यमयी संस्कृति को खुली और बंद आंखो से महसूस कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम राजस्थान राज्य के मेहंदीपुर बालाजी की यात्रा (Mehandipur Balaji ki Yatra) के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। जहां पर आप कदम रखते ही, अपने शरीर के भीतर अलग तरह की ऊर्जा को कदम-कदम पर महसूस करेंगे।
कौन हैं मेहंदीपुर बालाजी | Who is Mehandipur Balaji?
मेंहदीपुर बालाजी में भगवान हनुमान स्वयं अपने बाल रूप में विराजमान हैं। बाल रूप में होने के कारण इन्हें बालाजी के नाम से पुकारा जाता है। मेंहदीपुर बालाजी में भगवान हनुमान अपने भक्तों के सामनें चमत्कार करते हैं। मेंहदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji) में संकटमोचन, महाबली हनुमान (Mahabali Hanuman) अपने भक्तों पर भूत-प्रेत (Bhoot – Pret) के साएं और अन्य परेशानियों से छुटकारा दिलाते हैं।
भूतों को किस प्रकार भगाया जाता है
राजस्थान (Rajasthan) राज्य के दौसा (Dausa) जिले में स्थित स्वयंभू मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, भूत-प्रेत से मुक्ति दिलाने के लिए, देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह पवित्र हिंदू मंदिर प्रेत-बाधा से जूझ रहें स्त्री-पुरूष और अन्य लोगों के लिए, अंधकार में एक उम्मीद की किरण है। क्योंकि यहां पर बालाजी भक्तों के कष्टों का निवारण कर देते हैं। काले-जादू (Black Magic), टोना-टोटका, भूत-बाधा और अन्य समस्याओं से ग्रसित लोग यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में बालाजी के सामने अपनी अर्जी लगाने आते हैं। मंदिर के विषय में दावा किया जाता है, कि यहां पर आएं किसी भी पीड़ित को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता है। सभी के कष्टों को बजरंगबली (Bajarangbali) अर्थात् बालाजी हर लेते हैं।
Mehandipur Balaji से जुड़ी पौराणिक कथा
मंदिर परिसर में हनुमान जी के अतिरिक्त 2 देवता और मौजूद हैं। इस मंदिर में बालाजी (हनुमान), भैरव बाबा (Bhairav Baba) और प्रेतराज के मंदिर भी हैं। इन देवताओं का भी भूत-प्रेतों से निजात दिलाने में बड़ा योगदान है। मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है। यहां मौजूद बालाजी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। जिस कारण इसे स्वयंभू कहा जाता है। मंदिर परिसर के कई किलोमीटर के क्षेत्र में एक दैवीय ऊर्जा (Divine Energy) फैली हुई है। जो कि मंदिर की तरफ आने वाले भूत-प्रेत को पहले ही महसूस हो जाती है। जिस कारण वे वहां से दूर जाने की भी कोशिश करने लगते हैं।
इस मंदिर का माहौल देख आपकी आंखे बाहर आ जाएंगी
भारत में मौजूद अन्य तीर्थ स्थलो का नजारा बहुत ही दिव्य और पवित्र होता है। जहां पर भगवान के मंत्रोच्चारण की ध्वनि, घंटियों की आवाज और आरती की मधुर ध्वनि (Sweet Sound) मन के भीतर असीम शांति और ताजगी का अनुभव कराती है। लेकिन इन पवित्र तीर्थो के विपरीत मेंहदीपुर बालाजी (Mehndipur Balaji) धाम का माहौल बेहद डरावना है। जहां कदम रखते ही आप दर्द से तड़पते लोगों को देखेगें। इन चीखते-चिल्लाते लोगों को इनके परिजन और प्रियजन घसीटते हुए मंदिर की ओर लेकर आते हैं।
मंदिर के भीतर का मंजर
मंदिर के भीतर का मंजर बहुत ही डरावना है। जहां पर अचानक से कोई आपके कान के पास आकर चीखने लगता है या फिर अपने सिर के बालों को हाथों से नोंचने लगता है। इससे भी भयानक मंजर तो भीतर मौजूद उन लोगों का है जिन्हें प्रेत बाधा के कारण जंजीरों से बांधा जाता है इनमें से कुछ दीवार पर लटकते हुए, छत पर उलटे टंगे हुए भी देखे जा सकते हैं।कुछ की स्थित बहुत ही दयनीय होती है। क्योंकि उनके शरीर से प्रेत को अलग करने के लिए, उन पर गरम पानी (Hot Water) भी डाला जाता है। जबकि कुछ तो पहले से ही अपने नाखूनों और अन्य तरह से खुद को ही लहुलुहान कर लेते हैं।
एक जीवंत हॉरर कहानी
बिना किसी बड़े पर्दे के आप इस मंदिर में एक डरावनी फिल्म या हॉरर मूवी (Horror Movie) का मजा ले सकते हैं। इस डरावनी जगह पर आकर अच्छे-अच्छे लोग घबराते हैं। मंदिर के भीतर आप चारों ओर अपने ऊपर डरावनी निगाहें महसूस कर सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी में कमजोर दिल वालों को जाने की मनाही है। इसलिए यहां आते समय ध्यान रखे कि छोटे बच्चों को कभी इस जगह न लाएं।
मेंहदीपुर बालाजी का इतिहास
भारत के राजस्थान राज्य में मौजूद मेंहदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji) को भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में भी शामिल किया गया है। इस प्राचीन मंदिर का इतिहास लगभग 1 हजार पुराना बताया जाता है। स्थानीय मान्यताओं से पता चलता है कि मंदिर पहले अरावली की पहाड़ियों (Aravali Hills) के बीच घने जंगल के बीच स्थित था। मंदिर के प्रमुख देव बालाजी (Dev Balaji) और अनय 2 देवता ने यहां के एक पुजारी के सपने में जाकर अपने होने की बात बताई थी। तब उस पुजारी ने हनुमान जी और अन्य 2 देवताओं की उन मूर्तियो को निकालकर विधिवत् पूजा-अर्चना शुरू करी। तब से लेकर अब तक उस पुजारी के वंशज भगवान बालाजी की कृपा से आने वाले पीड़ितों की मदद करते हैं।
दुर्जेय पथ पर जाते ही कंपकंपा देने वाला एहसास शुरू
मंदिर की ओर कदम रखने वाले लोगों का अधिकतर कहना यह है कि जैसे ही वे यहां के मंदिर वाले रास्ते की ओर बढ़ते हैं तो उन्हें शरीर के भीतर अजीब तरह की बाइव्रेशन (Vibration) और सर्दी (Cold) महसूस होती है। मंदिर की ओर जाने वाले इस रास्ते पर जाते समय कभी-कभी अजीब सी चिल्लाने-रोने और चीखने की आवाजों को भी महसूस किया गया है। इतने डरावने माहौल के होने के बावजूद यहां पर असंख्य भक्तों का आना-जाना प्रतिदिन लगा रहता है। मंदिर की इस भीड़-भाड़ के कारण यहां पर भगदड़ के कई मामले देखे जाते हैं। सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होने के बाद भी श्रृद्धालुओं की आस्था मेंहदीपुर बालाजी पर गहरी है।
प्रसाद खाना वर्जित
भारत में मौजूद मेंहदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji) एक ऐसा तीर्थ हैं जहां आप किसी के द्वारा दिए गये, किसी भी तरह के प्रसाद (Prasad) को ग्रहण नहीं कर सकते। यहां हनुमान जी को किसी तरह का प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। बल्कि यहां पर आप स्थानीय दुकानदारों के पास से लिए हुए काले रंग के लड्डू (Black Laddu) को खरीद सकते हैं। लेकिन यह खाने के लिए नहीं बल्कि आग में चढ़ाने के लिए होते हैं। इन काले रंग के लड्डुओं को पीड़ित या अपने शरीर के चारों ओर वामावर्त दिशा में 5 बार घुमाकर अनुष्ठान अग्नि (Anusthan Agni) में डाला जाता है। जिससे बालाजी तक आपकी बात पहुंच जाती है।
मंदिर में चार कक्षों की कहानी
भयानक मंजर समेटे यह दिव्य मंदिर प्रेत-बाधा मुक्ति के लिए सर्वोत्तम स्थान है। मंदिर की वास्तुकला काफी प्राचीन है। इस अद्भुत मंदिर में चार तरह के विशेष कमरें हैं। पहले 2 कमरें भगवान हनुमान (बालाजी) और भैरव बाबा (Bhairav Baba) को समर्पित हैं। जबकि अंतिम 2 कक्ष में पीड़ितो का डेरा होता है। यहां पर कमजोरों का प्रवेश वर्जित है। क्योकि इस कमरें में सबसे भयंकर प्रेत से पीड़ितो को रखा जाता है। इस कक्ष में मौजूद प्रेतों को बहुत भयानक और भयावह तरह से प्रताड़ित किया जाता है।
जिसे देखकर किसी भी सामान्य इंसान की रूह कांप जाएंगी। कुछ पीड़ित प्रेत-बाधा के कारण दीवार और छत्त पर छिपकली (Lizards) और मकड़ियों (Spiders) की भांति रेंगते और चलते देखे जा सकते हैं। जबकि कुछ को रोकने के लिए, मजबूत लोहे की जंजीरों से जकड़ा जाता है। बाद में इन भूत-प्रेत पीड़ितों को यहां के पंड़ित और पुजारियों द्वारा पीटा और प्रताड़ित किया जाता है। यह भयानक मंजर देखकर आप दोबारा इस स्थान पर शायद ही कभी आना चाहेंगें।
पीछे मुड़ना सख्त मना है
बालाजी सरकार (Balaji Sarkar) के इस धाम से निकलने के बाद आप वापस पीछे मुड़कर कभी न देखें। अब आप सोचेगें ऐसा क्यू? तो आपको बता दें कि यहां की मान्यतानुसार कहा जाता है कि जो भी इंसान पीछे मुड़कर देखता है। उसके साथ यहां के नकारात्मक माहौल की कोई न कोई बुरी शक्ति (Negative Energy) साथ चली आती है। अब यहां के भयानक मंजर को याद करते ही, आपका वैसे ही पीछे मुड़कर देखने का ख्याल चला गया होगा। क्योंकि यहां पर प्रेतों से कैसे छुटकारा दिलाया जाता है यह तो आपको पता ही होगा। इसलिए जब भी आप मेंहदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji) से लौटकर आएं तो पीछे मुड़कर न देखें। आपका पीछे मुड़ना किसी भयानक शक्ति को आपके द्वारा निमंत्रण देने के बराबर है।
ध्यान देने योग्य जरूरी बातें
- मंदिर परिसर में किसी अजनबी को न छुएं।
- किसी भी तरह का खाना या पानी न पिए।
- मंदिर में किसी के द्वारा दिए हुए प्रसाद को न लें।
- मेंहदीपुर बालाजी मंदिर के भीतर कुछ भी न खाएं पिएं।
- मंदिर आने से पहले और बाद में प्याज-लहसुन लगभग 1 माह खाना मना है।
- बालाजी सरकार की कृपा पाने के लिए मंदिर आने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मांस और मदिरा को न छुएं।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- अपने साथ मंदिर से कुछ न लेके जाएं।
- यहां पर बचा हुआ किसी भी तरह का सामान, अपने घर न लें जाएं।
- खाने-पीने की वस्तुओं को भी फेंक दें।
- मंदिर परिसर में किसी से घुले-मिलें नहीं।
मंदिर में अनुष्ठान
इस तीर्थ पर होने वाले अनुष्ठानों में आंगतुको को इन गतिविधियों में अवश्य शामिल होना चाहिए –
दुर्खास्ता
मंदिर में होने वाले इस अनुष्ठान में आपको स्थानीय दुकानदारों से दुर्खास्ता लड्डू (Durkhasta Laddus) खरीदने होते हैं। दुर्ख़स्ता के लिए लड्डुओं की 2 प्लेट दी जाती है। इन लड्डुओं को आपको बालाजी के पास मौजूद पुजारियों को देना होता है। जिनमें से वे कुछ लड्डुओं को उठाकर, बालाजी के पास जल रही पवित्र अग्नि में डाल देते हैं। बचा हुआ आपको वापस दे दिया जाएगा। इस प्लेट को लेकर अब आप भैरव बाबा और प्रेतराज के पास भी जाएं। अब प्लेट में बचे मात्र 2 लड्डू आपको खाने है बाकि के लड्डू आपको सिर के ऊपर 7 बार घुमाकर बिना पीछे देखें फेंक देने हैं।
दो प्लेटों का महत्व
भगवान को भोग लगाने वाली इन 2 प्लेटो के बारें में कहा कि पहली प्लेट भगवान को सूचित करती है कि आप उनका आशीर्वाद और कृपा चाहतें हैं। जबकि दूसरी प्लेट उनसे आपकी समस्याओें को दूर और लक्ष्यों को प्राप्त करने का अनुरोध करती हैं।
दुर्ख़स्ता का समय सुबह: यह प्रक्रिया सुबह की नमाज़ के बाद और शाम की नमाज़ से पहले की जाती है।
मेंहदीपुर बालाजी धाम में अर्जी | Mehandipur Balaji Dham me Aarji
अब आप दुरखास्ता के बाद, स्थानीय दुकान से अर्जी के लिए खरीदारी कर सकते हैं। अर्जी के लिए 1.25 किलोग्राम लड्डू, 2.25 किलोग्राम उड़द दाल और 4.25 किलोग्राम उबले चावल चाहिए होते हैं। जो करीब 250₹-300₹ तक आसानी से मिल जाते हैं। अब इन्हे मंदिर में देवताओं को अर्जी के रूप में अर्पित किया जाता है।
समस्याओं से छुटकारा मिलने के बाद सवामणी
इस धाम में अगर आप कोई मनोकामना पूरी होने की पार्थना करते हैं तो उसके पूरे होने पर आपको वापस आकर यहां पर सवामणी चढ़ानी होती है। सवामणी को मंगलवार (Tuesday) और शनिवार (Saturday) को 11:30 बजे से 2:00 बजे तक चढ़ाया जाता है। यह 3 प्रकार का होता है –
- खीर पूरी
- हलवा पूरी
- लड्डू पूरी
सवामणी (Savamani) का भोग लगाने के लिए एक दिन पहले या सुबह-सुबह कार्यालय में जानकारी दे देनी चाहिए। सवामणी लगवाने के लिए वहां पर लिस्ट भी लिखी हुई है।
सारांश
हनुमान जी के इस पवित्र तीर्थ पर प्रतिदिन दूर-दराज से प्रेत-बाधा पीड़ितो, श्रृद्धालुओं और अन्य टूरिस्टो की भीड़ लगती है। अगर आप भी भारत की सबसे डरावनी जगह (Most Haunted Place In India) की तलाश कर रहें थे। तो आपको भी मेंहदीपुर बालाजी महाराज (Mehandipur Balaji Maharaj)के दर्शन हेतु अवश्य आना चाहिए। आज के इस लेख में हमनें मेंहदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji) से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी को पेश किया है। आपकी भविष्य (Future) की मेंहदीपुर बालाजी यात्रा के लिए यह लेख एक बेहतरीन मार्गदर्शिका साबित होगा।
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