Chitrakoot: जानिए चित्रकूट की फेमस चीज क्या है?

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Chitrakoot: अगर आप भी इस दशहरा (Dashahara)और दिवाली (Diwali) चित्रकूट घूमनें के बारे में सोच रहे है। तो देर किस बात की है। आइए जानते हैं चित्रकूट (Chitrakoot) के विषय में कुछ अनोखी और दिलचस्प जानकारी जिसे आज से पहले आपने कभी नही सुना होगा। वैसे तो चित्रकूट के कण-कण में आज भी ईश्वरीय शक्ति का वास है। यह भगवान राम की कर्मस्थली है। और यह जगह अपनी आस्था और प्राकृतिक सौन्दर्य से भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है।

Chitrakoot | चित्रकूट

यह जिला ‘कई आश्चर्यों की पहाड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र जिला यूपी (U.P) और एम पी (M.P.) में फैला हुआ है। यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पहाड़ों की उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित है। यह क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा को अपने आप में समेटे हुए हैं। यह आदिकाल से ही भगवान राम सहित क कई बड़े-बडे़ ऋषियों तथा मुनियों की कर्मभूमि और तपोभूमि रही है। आज भी इस पवित्र भूमि के कण-कण में देवीय शक्ति का वास है।यहां प्रचलित कथाओं में बताया जाता हैं, कि (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) जी ने यहा अवतार लिया था।

रामायण से पता चलता है, कि भगवान राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित अपने वनवास का सर्वाधिक समय यही व्यतीत किया था। इस पावन भूमि पर ऋषि अत्रि (Rishi Atri) और सती अनसुइया (Sati Anasuiya) ने तपस्या की थी। चित्रकूट में पर्यटकों और श्रद्धालुओं का हुजूम वर्षभर देखने को मिलता है। यहा पर अनेको दर्शनीय स्थान मौजूद हैं – चित्रकूट पर्वत माला में कामद गिरि, हनुमान धारा, जानकी कुंड, लक्ष्मण पहाड़ी , भरत कूप , राम घाट, राम दर्शन और देवांगना जैसे प्रसिद्ध धार्मिक पर्वत सम्मिलित हैं।

Bharat Milap Mandir | भरत मिलाप मंदिर

भरत मिलाप मंदिर के विषय में सदियो से कहा जाता है, कि जब भगवान राम के भाई भरत को यह खबर लगी। कि उनके बड़े भाई भगवान राम को उनकी माता के कारण 14 साल का वनवास मिला है। तो वे अपने बड़े भाई को वापस अयोध्या लेने के लिये उनके पास पहुंचे। जब वे अपने भाई राम से मिले तो प्रकृति भी चारों भाइयों के भाव-विभोर करने वाले दृश्य को देखकर रो पडी़। जिससे यहां उपस्थित चट्टानों में उनके पैरों के निशान आ गये। जो आज भी मौजूद है।

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Rock Crystal | स्फटिक शिला

यह शिला राम घाट के नजदीक मंदाकिनी नदी के किनारे बना एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा है। इस जगह के बारे में कहा जाता है, कि यहा माता सीता अपना श्रृंगार और प्रभु श्री राम के साथ मंदाकिनी के पवित्र दृश्य को देखा करती थी। परन्तु एक अन्य कथानुसार कहा जाता है, कि एक बार इन्द्र पुत्र जयन्त ने कौए का वेश धारण कर माता को परेशान करते हुए। उनके पैरों में चोंच मारी थी। इस शिला पर आज भी श्री राम के पाव के निशान मौजूद हैं। जिन्हें श्रद्धालु आज भी पूरे भक्ति भाव से पूजतें है।

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Ganesh Bagh | गणेश बाग

इस पवित्र मंदिर का निर्माण विनायक राव पेशवा ने 19वीं सदी में कर्वी-देवांगना रोड के नजदीक स्थित है। इस मंदिर को सुन्दर नक्काशी द्वारा सजाया गया है। इसमें खुजराहों स्थापत्य कला का नमूना देखने को मिलता है। खुजराहों स्थापत्य कला की समानता के कारण इस पवित्र मंदिर को छोटा खुजराहों भी कहा जाता है। यहा पर तीर्थ यात्रियों का आना जाना लगा रहता है।

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Ram Darshan | राम दर्शन

राम दर्शन जैसा कि नाम से पता चलता हैं, कि यह भगवान राम से सम्बन्धित स्थान है। यह एक ऐसा अनोखा मंदिर है। जहां लाखों हजारों की संख्या में श्रृद्धालु आते है। परन्तु इस मंदिर में भगवान को प्रसाद चढा़ना निषेध है। यह मंदिर एक तरह की सांस्कृतिक शिक्षा से सम्बन्धित एक शिक्षण संस्थान है। यहा पर भगवान राम से सम्बन्धित अनेको दुर्लभतम वस्तुओं का संग्रह मौजूद हैं। यह मंदिर एक संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है। यहा रामायण काल से संबंधित अनेक चीजों पर गहन अध्यन किया जा सकता है।

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Ram Ghat | राम घाट

मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित राम घाट लाखों भक्तों के प्रमुख आकर्षणों का केन्द्र है। इस घाट पर सुबह के समय भक्तों का हुजूम मंदाकिनी के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने को उमड़ता हैं। वही कुछ लोग यहां के मनोरम दृश्य का मजा लेने के लिये भी आते है। शाम की आरती के समय यह घाट लाखों दीपों द्वारा प्रकाशित होता है। जिसकी दिव्यता आंखे मूदकर भी महसूस की जा सकती है।

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Hanuman Dhara | हनुमान धारा

यह मंदिर एक बडी़ सी चट्टान के ऊपर बना है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सुन्दर सीढियां बनी हुई है। जिन्हें सुन्दर कलाकृतियों द्वारा सजाया गया है। इस मंदिर के जाने वाले रास्ते में संकटमोचन हनुमान जी की अनेक प्रतिमाएं स्थापित है। इस स्थान के विषय में कहा जाता है, कि जब हनुमान जी लंका में आग लगाकर यहा आए थे। तो प्रभु श्री राम जी के साथ इसी जगह रूके थे।

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Gupta Godavari | गुप्त गोदावरी

यह चित्रकूट से 18 km दूर स्थित है। रामायण काल में भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी अपने वनवास के समय में कुछ समय यहा विश्राम किया था।यह एक गुफा है, जिसका जलस्तर घुटनों तक है। यहां दो नक्काशीदार सिंहासन रखे है, जिनके विषय में अनुमान लगाया जाता है। कि यह प्रभु राम और लक्ष्मण जी के बैठने के स्थान थे। इन गुफाओं के बाहर स्थानीय दुकानदार कई प्रकार के स्मृति चिह्न बेचते हैं। जिन्हें यहां आने वाले भक्त और पर्यटक बड़े शौक से अपने और अपने करीबियों के लिये खरीदते है।

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निष्कर्ष | Chitrakoot

इस आर्टिकल में हमनें चित्रकूट (Chitrakoot) के बारे में विस्तृत तरह से बताया हैं, जो यात्रा को सरल और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। हमें आशा है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा।

Chitrakoot से संबंधित आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं और इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

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