Kedarnath Yatra 2023: उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग (Rudraprayagraj) जिले में स्थित केदारनाथ धाम भगवान शिव (Lord Shive) को समर्पित है।यह 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlingas) में से एक है इस पवित्र तीर्थ स्थल पर हर वर्ष अनेकों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन के लिए आते रहते है। केदारनाथ धाम की समुद्र तल से ऊंचाई 3584 मी. है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम पहुचनें के लिए कठिन मार्गो से गुजरना पड़ता है, क्योंकि सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी (Heavy Snowfall) देखने को मिलती है।
Kedarnath Yatra 2023 करने का सही समय
- केदारनाथ धाम यात्रा का चार धाम यात्राओं (Char Dham Yatra) में सबसे अधिक महत्व है। क्योंकि कहा जाता है कि केदारनाथ धाम की यात्रा किए बिना किसी भी धाम के फल की प्राप्ति नही होती है।
- केदारनाथ धाम खुलने की तिथि प्रत्येक वर्ष हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) की गणना के बाद ऊखीमठ (Ukhimath) में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) के पुजारियों द्वारा निर्धारित की जाती है।
- केदारनाथ धाम का उद्धघाटन प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया (Akshya Tratiya) के शुभ दिन और महा शिवरात्रि (Maha Shivaratri) पर किया जाता है ,और केदारनाथ धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष नवंबर के आसपास शीत काल (Winter Time) में बंद कर दिए जाते हैं।
- 2023 में केदारनाथ धाम यात्रा का शुभारम्भ 26 अप्रैल से होगा और यह चारधाम यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी।
Darshan time Of Kedarnath | केदारनाथ जी के दर्शन का समय
यह पवित्र मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6:00 बजे खुलता हैं। और 3 से 5 बजे के मध्य विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके बाद केदारनाथ जी के विश्राम के लिए कुछ समय के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। संध्या के समय 5 बजे से पुन: श्रद्धालुओं के लिए मंदिर को खोल दिया जाता है। इसी समय केदारनाथ जी का भव्य श्रृंगार किया जाता है।
और 7:30 से 8:30 तक नियमित आरती और भजन का आयोजन किया जाता है। रात के 8:30 बजते ही मंदिर को बंद कर दिया जाता है।जब शीत ऋतु में बहुत बर्फबारी होती है और मंदिर बंद होने के 2 दिन पहले ही भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी मूर्ति (Panchmukhi Murti) को ‘उखीमठ’ में ले जाया जाता हैं। इसी मूर्ति की पूजा यहां पर जनता द्वारा दिए के दान और चंदा से करवायी जाती है।
Order of worship in Kedar Dham | केदार धाम में पूजा का क्रम
केदार धाम में की पूजाओं के क्रम में सुबह-सुबह पूजा, महाभिषेक पूजा (Mahabhishek Pooja), अभिषेक (Abhishek), लघु रुद्राभिषेक (Small Rudrabhishek), षोडशोपचार पूजन (Shodashopachar Pujan), अष्टोपचार पूजन (Ashtopachar Pujan), सम्पूर्ण आरती (Complete aarti), पाण्डव पूजा (Pandava Pooja), गणेश पूजा (Ganesha puja), श्री भैरव पूजा (Shri Bhairav Pooja), पार्वती जी की पूजा (Worship of Goddess Parvati), शिव सहस्त्रनाम (Shiva Sahastranam) आदि देवी देवताओं की विधिवत् पूजा अर्चनाएं की जाती हैं।
मन्दिर-समिति (Temple Committee) द्वारा केदारनाथ मन्दिर में पूजा कराने के लिए श्रद्धालुओं से समय-समय पर जो दक्षिणा (शुल्क) एकत्रित की जात है, उसमें मंदिर समिति समय-समय पर कुछ बदलाव भी करती रहती है।
History of Kedar Dham
चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ (Badrinath) और केदारनाथ धाम मुख्य तीर्थ हैं। केदारनाथ जी की महिमा का उल्लेख इस बात से सत्य प्रतीत होता है। कि जो व्यक्ति केदारनाथ जी के दर्शन के बिना बद्रीनाथ जी के दर्शन करता है। उसकी यह यात्रा पूर्णतः निर्थक हो जाती हैं। और केदारनाथ के साथ बद्रीधाम के दर्शन का फल सभी बुरे कर्मो और पापों के नाश तथा जीवन मरण के चक्र से प्राप्ति मार्ग है।
इस मन्दिर कितने वर्ष पुराना है इसके विषय में कोई ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, परन्तु कई वर्षों से केदारनाथ धाम एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में विश्व विख्यात रहा है।राहुल सांकृत्यायन जी (Mr. Rahul Sankrityayan) के अनुसार यह मंदिर 12-13वीं शताब्दी के समय का है। राजा भोज की स्तुति के अनुसार पता चलता है कि यह मंदिर उन्होंने बनवाया था।
परन्तु मान्यता अनुसार कहा जाता है। कि वर्तमान समय में उपस्थित यह मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) द्वारा बनवाया गया। जो पांडवों (Pandavas) द्वारा द्वापर काल (Dwapar period) में निर्मित मंदिर की बगल में है। मंदिर की सीढ़ियों पर पाली (Pali) या ब्राह्मी (Brahmi) लिपि में कुछ अंकित है, क्योंकि कि समय की मार से यह अस्पष्ट हो गया है। जिसे वर्तमान समय में पढ़ना मुश्किल है।
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम के पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मणों के वंशज हैं, इनके पूर्वजों के विषय में कहा जाता है कि इनके पूर्वज ऋषि-मुनि भगवान नर-नारायण के समय काल से ही इस पवित्र स्वयंभू ज्योतिर्लिंग (Swayambhu Jyotirlinga) की पूजा करते आ रहे हैं, जिनकी कुल संख्या उस समय 360 हुआ करती थी। पांडवों के पोते महाराज जनमेजय (Janamejaya) ने उन्हें इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया था, और तभी से ये सभी श्रद्धालुओं की पूजा-पाठ करवाते आ रहे हैं।
आदि गुरु शंकराचार्य जी के समय से ही यहां शिव लिंग की पूजा दक्षिण भारत से जंगम समुदाय के रावल व पुजारी ही करते हैं, जबकि श्रद्धालुओं की ओर से पूजा यह तीर्थ पुरोहित द्वारा सम्पन्न करवाई जाती है।
Kedar Nath Temple Architecture | केदार नाथ मंदिर की वास्तुकला
यह मन्दिर एक 6 फीट ऊँचे एक चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। इसके मुख्य भाग में मण्डप और गर्भ-गृह है। गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ बना है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल (Nandi) ,भगवान शिव (Lord Shiva) के वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने या किसके द्वारा करवाया गया ,इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख और साक्ष्य अब तक नहीं मिला है।
किवदंती है, कि इस पवित्र मन्दिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। यह पवित्र मन्दिर को तीन भागों में बटा है 1.गर्भ गृह , 2.मध्यभाग 3. सभा मण्डप । गर्भ गृह के बीचों-बीच में भगवान श्री केदारनाथ जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। इस दिव्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़भाड हमेशा लगी रहती हैं।
How to plan Kedarnath Yatra | केदारनाथ यात्रा की योजना कैसे बनाएं
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम पहुचनें के लिए 2 मार्गो का चयन करनाा पड़ता है। क्योंकि केदारनाथ धाम पहुचनें के केवल 2 ही मार्ग है। आप मंदिर जाने के लिए 16 km की ट्रेकिंग कर के या पोनी/ पालकी बुक करके भी जा सकते हैं। या फाटा हैलीपेड (Fata Helipad) से हेलीकॉप्टर (Helicopter) द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुच सकते हैं।
Kedarnath Yatra 2023 | केदारनाथ यात्रा 2023
देश भर से हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष इस पवित्र यात्रा को करने आते हैं। दिल्ली (Delhi) से केदारनाथ पहुंचने के लिए हरिद्वार (Haridwar) और ऋषिकेश (Rishikesh) से रुद्रप्रयाग की यात्रा करते हैं। हरीद्वार चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार है। आप अगर केदारनाथ धाम की यात्रा ट्रेन द्वारा करना चाहते है तो आपको नजदीकी रेलवे स्टेशन द्वारा पहले हरिद्वार पहुंचना होगा। फिर यहां से आप रुद्रप्रयाग की यात्रा करके केदार धाम पहुंच सकते है। सड़क मार्ग से केदार धाम पहुंचने का अंतिम बिंदु गौरीकुंड (Gaurikund) है। इसके आगे यात्रा 16 km आपको ट्रेकिंग द्वारा पूर्ण करनी पड़ेगी।
Travel by Road | सड़क मार्ग द्वारा यात्रा
गौरीकुंड तक पहुंचने के लिए आप उत्तराखंड के हरिद्वार या ऋषिकेश से राज्य परिवहन (State Transport) या निजी बसों (Private Puses) का विकल्प चुन सकते हैं। आप गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप कैब/टैक्सी भी बुक कर सकते हैं।
निष्कर्ष | Kedarnath Yatra 2023 in India
इस आर्टिकल में हमनें केदारनाथ धाम यात्रा (Kedarnath Yatra 2023 In Hindi) के बारे में विस्तृत तरह से बताया हैं, जो यात्रा को सरल और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। हमें आशा है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा।
Kedarnath Yatra से संबंधित आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं और इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
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