Indian Masjid: भारत में ऐतिहासिक स्मारक (Historical Monuments In India), मंदिर (Temples) और मस्जिद (Mosques in India) जैसे अनेक तीर्थ स्थल (Holy Pilgrimage) मौजूद हैं जो कि अपने वास्तुशिल्प (Architecture) के अद्भुत प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। अधिकतर मस्जिद और दरगाह का निर्माण शाही लोगों (Dargah was Built by Royal People) और सम्राटों (Emperors) के द्वारा, अपने धर्म प्रचार (Preaching Religion) और अन्य राजनितिक उद्देश्यों की पूर्ति (Fulfillment of Political Objective) के लिए हुआ था जबकि उत्तर प्रदेश की राजधानी (Lucknow the Capital of Uttar Pradesh) में बना बड़ा इमामबाड़ा (Bada Imambara), जिसे लखनऊ की भुलभुलैया (Labyrinth of Lucknow) के नाम से भी जाना जाता है का निर्माण अकाल पीड़ितों को आश्रय (Shelter for Famine Victims) देने के उद्देश्य से किया गया था।
भारत में बनीं यह मस्जिदें, इस्लामिक लोगों का एक समुदायिक तीर्थ स्थल (Community Pilgrimage Site) हैं। जहां पर वे ईद और अन्य स्लामिक त्यौहार के अवसर पर नमाज पढ़, अपने आस-पास के लोगों को गले लगाते हैं। भारतीय मस्जिदों में बनें गुबंद (Dome), मेहराब (Arches) और ऊंची मीनारें (High Towers), भारतीय मस्जिदों की वास्तुकला (Architecture of Indian Mosques) में पायी जाने वाली सबसे बढ़ी विशेषता हैं। आज के इस लेख में हम आपको Masjid Near Me और भारत के सबसे बड़े स्लामिक स्थलों के बारें में (India’s largest Islamic Sites) जानकारी उपलब्ध करवाएंगे।
जामा मस्जिद, दिल्ली
दिल्ली की जामा मस्जिद (Jama Masjid of Delhi) की सबसे बड़ी मस्जिद और प्रार्थना घर है। मुगल वास्तुकला (Mughal Architecture) का नायाब नमूना जामा मस्जिद, मुगल बादशाह शाहजहां (Shah Jahān) ने बनवाया था। इस पवित्र स्थल की लोकप्रियता, इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल के रूप में भी देखी जा सकती है। मस्जिद का निर्माण 1650 में मुगल सम्राट शाहजहाँ के आदेश पर हुआ था। इसको बनने में लगभग 6 वर्ष का समय लगा था। मस्जिद के निर्माण में लगभग 5,000 मजदूरों ने अपना योगदान दिया था। इस प्रार्थनाघर (Prayer Hall) को बनाने में लाल बलुआ पत्थर (Red Sandstone), संगमरमर (Marble) जैसे पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
इस मस्जिद के भीतर 26,000 लोगों के बैठकर नमाज (Namaz) पढ़ने की जगह है। इस मस्जिद को मस्जिद-ए जहां नुमा (Masjid-e Jahan Numa) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है “दुनिया को प्रतिबिंबित करने वाली मस्जिद” या “दुनिया को प्रदर्शित करने वाली मस्जिद” (Mosque that Shows the World)।
दिल्ली में मौजूद इस मस्जिद में प्रवेश के लिए उत्तरी और दक्षिणी द्वार मौजूद हैं। मस्जिद में बना पूर्वी प्रवेश द्वार का उपयोग शाही वंशजो (Royal Descendants) के लिए किया जाता था। आज के समय में यह द्वार शुक्रवार (Friday) के दिन ही खुलता है। जामा मस्जिद में अनेक मेहराब, गलियारें, और मीनारें हैं। मीनारों और गलियारों से दिल्ली के लाल किले (Mosque is Near The Red Fort) का अनुपम दृश्य नजर आता है। दिल्ली में अगर आप प्रार्थना (masjid near me) के लिए कोई बढ़िया नमाज स्थल (Namaz Place) ढूंढ रहें हैं। तो आपको एक बार जामा मस्जिद की ओर अवश्य जाना चाहिए।
मक्का मस्जिद, हैदराबाद
भारत के हैदराबाद (Hyderabad) में चारमीनार (Charminar) के दक्षिण-पूर्व में मौजूद मक्का मस्जिद दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिदों (Mecca Masjid the Largest Mosques in the World) में शामिल है। इस मस्जिद को भारत की सबसे पुरानी मस्जिद (India’s Oldest Mosque) भी कहा जाता है। मुगल वास्तुकला (Mughal Architecture) का एक और बेहतरीन उदाहरण मक्का मस्जिद का निर्माण 1614 में सुल्तान कुली कुतुब शाह (Sultan Quli Qutb Shah) के शासनकाल में शुरू हुआ, बाद में इस शानदार मस्जिद को मुगल बादशाह औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) 1693 में पूरा करवाया। इस ऐतिहासिक स्थल को पूरा होने में 77 साल का समय तथा 8,000 मजदूरों का श्रम लगा था। यह विशाल प्रार्थनाघर 300 फीट एकड़ की भूमि पर फैला है।
मस्जिद के मुख्य मेहराबों को बनाने के लिए, इस्तेमाल किए गये पत्थर और ईंटों को सऊदी अरब के मक्का शहर से मंगवाया (Stones and Bricks Were Imported From Mecca City of Saudi Arabia) गया था। मस्जिद में बना मुख्य प्रार्थना स्थल जमीन से 75 फीट ऊंचा है। जिस पर 10,000 लोग बैठकर आराम से नमाज पढ़ सकते हैं। मस्जिद के मेहराबों को फूल-पत्तियों (Flowers, Leaves) और भित्तिचित्रों (Graffiti) तथा कुरान की आयतों (Verses from The Quran) से सजाया गया है।
मक्का मस्जिद की वास्तुकला (Architecture of Makka Masjid) गोलकुंडा किले (Golconda Fort) और चारमीनार की वास्तुकला (Architecture of Charminar) से मिलती-जुलती है। यह मुगल शाही वास्तुकला (Mughal Imperial Architecture) और अरबी वास्तु शिल्प (Arabic Architecture) का अनूठा मिश्रण है। इसके भीतर एक पवित्र तालाब भी है जिसके पास 2 पत्थर की सीट भी बनी हुईं हैं। हैदराबाद में प्रार्थना के लिए यह Masjid Near Me की आवश्यकता को भली भांति पूरा करता है।
ताज-उल मस्जिद, भोपाल
ताज-उल-मस्जिद (Taj-ul-Masjid) भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल (Bhopal, Capital of Madhya Pradesh State) में स्थित है। मुगल समुदाय (Mughal Community) के लिए यह एक पवित्र प्रार्थनाघर है। इस मस्जिद के नाम का अर्थ है “मस्जिदों के बीच मुकुट” या ‘मस्जिदों का ताज’ (Crown Between Mosques) है। इसे एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों की सूची (List of Largest Mosques in Asia) में भी शामिल किया गया है। साथ ही इसे भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों (India’s Largest Mosques) में भी गिना जाता है।
इसका निर्माण काल लगभग 1844-1860 और 1868-1901 में माना जाता है। मस्जिद को भोपाल की शासक शाहजहां बेगम (Ruler Shahjahan Begum) के आदेश पर बनवाया गया था। मस्जिद की वास्तुकला इस्लामी (Islamic) या मुगल शैली (Mughal Style) में है। इसमें 3 गुबंद तथा 2 बड़ी मीनार हैं। जो मस्जिद से भोपाल के अनूठे दृश्यों का दीदार करनें के लिए, एक बेहतरीन जगह हैं।
मस्जिद के मध्य में पानी से भरा बड़ा सा तलाब है जिसे वज़ुखाना (Vazukhana) कहते हैं। मस्जिद के बाहरी और भीतर का दृश्य प्रार्थना और नमाज पढ़ने के लिए उचित परिवेश प्रदान करता है। भोपाल में Masjid Near Me की तलाश ताज-उल मस्जिद (Taj-ul-Masajid) पर आकर समाप्त होती है।
हजरतबल मस्जिद, जम्मू और कश्मीर
जम्मू (Jammu) और कश्मीर (Kashmir) में श्रीनगर (Srinagar) के हजरतबल (Hazratbal) में डल झील (Dal Lake) के निकट बना मुगल तीर्थ स्थल (Mughal Pilgrimage Site Built Near Dal Lake) है। जिसमें मुगल सम्प्रदाय (Mughal Sect) के पैगंबर मोहम्मद के बालों का एक गुच्छा (Mohammed’s Hair Lock) रखा हुआ है। पवित्र बालों के अवशेष रखे होने के कारण इस इस्लामिक तीर्थ (Islamic Pilgrimage) या मस्जिद को मोई-ए-मुक़द्दस (Moi-E-Muqaddas to the Mosque) के नाम से भी जाना जाता है। हजरतबल दरगाह (Hazratbal Dargah) को मदिनात-अस-सनी (Madinat-as-Sani), असर-ए-शरीफ (Asar-e-Sharif), और दरगाह शरीफ (Dargah Sharif) जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
सफेद रंग की यह संरचना बाहर से ही पर्यटकों का मन मोह लेती है। मस्जिद में बना खूबसूरत बगीचा और आरामगाह को शाहजहां के सूबेदार सादिक खान (Shahjahan’s Subedar Sadiq Khan) ने वर्ष 1623 में बनवाया था। इसकी वास्तुकला कश्मीरी स्थापत्य कला (Kashmiri Architecture) और मुगल वास्तुशैली (Mughal Architecture) का एक अद्भुत संयोजन प्रकट करती है। इस पवित्र सभागार (Sacred Hall) या प्रार्थनाघर (Prayer Hall) को बनाने के लिए संगमरमर के पत्थरों (Marble Stones) का प्रयोग किया गया था। सूरज की रोशनी जब इस विशाल संरचना पर पड़ती है। तो इसका खूबसूरत प्रतिबिंब डल झील (Dal Lake) में बनता है। जो देखने में जन्नत के द्वार (Gates of Heaven) सा प्रतीत होता है।
कश्मीर और श्रीनगर आने वाले पर्यटकों के बीच यह एक ऐतिहासिक लोकप्रिय स्थल (This is a Historically Popular Place Among the Tourists Visiting Srinagar) है। साथ ही जम्मू कश्मीर में नमाज के लिए masjid near me का उत्तम विकल्प है।
बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ
बड़ा इमामबाड़ा (Bada Imambara), ईद मुबारक (Eid Mubarak) और अन्य विशेष अवसरों पर मुगल समुदाय से भरा रहता है। लखनऊ “नबावों का शहर” (Nabaavon Ka Shahar) में बनी इस मस्जिद का निर्माण अवध के चौथे नवाब “नवाब आसफ-उद-दौला” (Fourth Nawab of Awadh “Nawab Asaf-ud-Daula”) ने करवाया था। 1784 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसे पूरा होने में 14 वर्ष का समय लगा। इसकी वास्तुकला को सबसे उत्तम श्रेणी की वास्तुकला में गिना जाता है। इस मस्जिद को बनाने के लिए लखनवी ईंटों (Lucknowi Bricks) का प्रयोग किया गया है। ईंटों से तैयार यह संरचना आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस इमारत को बनाने के लिए किसी भी तरह की धातु (Metal) और लकड़ी (Wood) का प्रयोग नहीं किया गया है।
इसके मुख्य हॉल की धनुषाकार छत्त (Arched Roof) को बनाने में किसी भी प्रकार की लकड़ी (Wood) या सरिया (Rebar) का प्रयोग नहीं हुआ है, जिस कारण इतिहासकार प्राचीन समय के वास्तुकारों की इंजीनियरिंग और तकनीकी का लौहा आज भी मानते हैं। मस्जिद के भीतर सबसे बड़ा आकर्षण इसका भूलभुलैया (Maze) वाला स्थान है। जिसमें लगभग 1,000 रास्ते और खिड़किया, दरवाजे शामिल हैं। इसमें जाने वाला प्रत्येक व्यक्ति खो जाता है। कभी भी समान दरवाजे और सीढ़ियों से वापस नहीं आ सकता है। लखनऊ में नमाज के लिए Masjid Near Me की तलाश बड़ा इमामबाड़ा पर खत्म होती है।
जामा मस्जिद, आगरा
आगरा में बनी जामा मस्जिद (Jama Masjid Agra) को जहाँआरा (Jahanara) के लिए बनवाया गया था। इस मस्जिद का निर्माण 1648 में एक ऐतिहासिक स्मारक (Historical Monument) के रूप में किया गया था। जहाँआरा मुगल बादशाह शाहजहां की बेटी (Jahanara, Daughter of Mughal Emperor Shahjahan) थी।
मस्जिद को बनाने में मुगल वास्तुकला का प्रयोग किया गया है। यह एक आयताकार मस्जिद (Rectangular Mosque) है जिसके मध्य में एक विशाल गुबंद है। इसके अगल-बगल 2 इससे छोटे गुबंद हैं। बड़े गुम्बद के नीचे विशाल द्वार है। मस्जिद की दीवारों को नक्काशी से सजाया गया है। इसके भीतर लगभग 10,000 से भी ज्यादा लोग, एक समय में प्रार्थना कर सकते हैं। इस मस्जिद के भीतर सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की मकबरा (Tomb of Sufi Saint Sheikh Salim Chishti) भी स्थित है।
मस्जिद एक लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेस (Popular Tourist Place) के रूप में भी जानी जाती है। आगरा में अगर आप भी सबसे बढ़िया Masjid Near Me की तलाश कर रहें हैं तो आगरा की जामा मस्जिद (Jama Masjid of Agra) पर आकर आपकी तलाश खत्म होती है।
जमाली-कमाली मस्जिद, दिल्ली
दिल्ली के महरौली (Mehrauli, Delhi) में 16 वीं सदी की विशाल इमारत, जमाली-कमाली मस्जिद और मकबरा (Jamali-Kamali Mosque and Tomb) , जो आज के समय में एक का खंडहर (Ruins) के रूप में दिखती है। इसके भीतर 2 कब्रे (2 Graves) मौजूद हैं जो कि जमाली और कमाली नाम से मशहूर हैं। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह जगह दिल्ली में घूमनें योग्य जगहों में (Places to Visit In Delhi) शामिल है। इस विशाल खंडहरनुमा संरचना (Huge Ruined Structure) को लाल बलुआ पत्थर (Red Sandstone) और संगमरमर (Marble) से बनाया गया है।
मस्जिद से जुड़ा एक बड़ा सा पार्क (Park) है। जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मस्जिद में बड़ा आंगन, प्रार्थना कक्ष, 5 मेहराब और बीच के मेहराब में एक गुंबद भी शामिल है। सूर्यास्त (Sunset) (के बाद इस मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं हैं क्योंकि इस जगह पर, रात के समय भयानक चीजें (Terrible Things at Night), आलौकिक घटना (Supernatural Phenomena), सफेद साएं (White Shadows) और जिन्न (Jinn) जैसी चीजों के दिखने की अफवाएं हैं।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, दिल्ली
भारत की राजधानी दिल्ली (India’s Capital Delhi) में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) को देश की पहली मस्जिद (Country’s First Mosque) भी कहा जाता है। इसे लगभग 1193 ईस्वी में बनवाया गया था। इस ऐतिहासिक इमारत की वास्तुकला हिंदू (Historical Building Architecture Hindu) और इस्लामिक वास्तु शैली (Islamic Architectural Styles) का अनूठा मिश्रण है। मस्जिद की छत्त और स्तम्भ हिंदू मदिंरों की वास्तु शैली से प्रेरित हैं जबकि इसके बुर्ज में स्लामिक वास्तु शैली का प्रभाव देखने को मिलता है।
इस प्राचीन मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutubuddin Aibak) ने 1197 ई. में दिल्ली के रायपिथौरा किले के नजदीक (Near Raipithora Fort, Delhi) करवाया था। कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद हिंदू देवता विष्णु मन्दिर (Hindu God Vishnu Temple) के पवित्र स्थान पर बनवायी गयी है। आज के समय में यह ऐतिहासिक कुतुबमीनार (Historic Qutub Minar) के साथ ही पर्यटकों के लिए एक हॉट स्पॉट (Hot Spot) है। दिल्ली में कुतुबमीनार के पास Masjid Near Me के विकल्प को पूरा करने योग्य है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा मस्जिद, अजमेर
भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान (India’s largest state Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) सीमा पर स्थित- अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (Adhaee Din Ka Jhompada) आज एक ऐतिहासिक लोकप्रिय पर्यटन स्थल (Historical Popular Tourist Destination) के रूप में जाना जाता है। इस मस्जिद के स्थान पर सबसे पहले विग्रह राज चौहान चतुर्थ (Raj Chauhan IV) ने “सरस्वती कण्ठा भरण” (Saraswati’s Throat Filling), (संस्कृत विद्यालय) नाम का एक हिंदू विद्यालय बनवाया (Hindu School Built) था। जिसे बाद में मौहम्मद गोरी (Mohammed Ghori) के आदेश पर तोड़ा गया और उसके गवर्नर कुतुब-उद-दीन ऐबक (Governor Qutb-ud-din Aibak) ने बाद में सन् 1994 में इस पवित्र स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण कर दिया।
इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने में महज ढाई दिन का समय (Two and a Half Days Time) लगा था। जिस कारण इसका नाम अढा़ई दिन का झोंपड़ा पड़ा। मस्जिद के भीतर छत्त और स्तम्भों पर श्लोक और हिंदू वास्तु शिल्प की कारीगरी को आसानी से देखा जा सकता है। राजस्थान में Masjid Near Me की खोज अढ़ाई दिन के झोपड़े पर आकर समाप्त होती है।
नगीना मस्जिद, आगरा
आगरा किले के भीतर शाही वंशजो के लिए बनी नगीना मस्जिद (Nagina Masjid), जैम मस्जिद (Jam Masjid), ज्वेल मस्जिद (Jewel Masjid) और मोती मस्जिद (Moti Masjid) जैसे लोकप्रिय नामों से जानी जाती है। नगीना मस्जिद को आगरा किले (Nagina Masjid Agra Fort) में शाहजहाँ ने निजी उपयोग (Shahjahan Used Personal) के लिए बनवाया था। आज के समय यह एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
मस्जिद को बनाने के लिए शुद्ध सफेद संगमरमर के पत्थर (Pure White Marble Stones) का प्रयोग किया गया है। इस मस्जिद को 3 खंडो में विभाजित किया गया है। इसके मध्य में एक आकर्षक बड़ा मेहराब है और 9 क्यूसप भी हैं। इस मस्जिद की चौड़ाई 10.21 मीटर और गहराई 7.39 मीटर है, मस्जिद के क्षेत्र में एक संगमरमर से बना पक्का दरबार है। इसके मुख्य प्रार्थना कक्ष सफेद संगमरमर से बना हुआ है। जो सूरज की रोशनी में दूधियां रंग से चमक उठता है। मस्जिद के ऊपरी भाग पर बने 3 विशाल गुबंद देखने योग्य हैं। आगरा में यह सबसे अधिक देखी जाने वाली मस्जिदों में शामिल है। इसकी वास्तुशिल्प या वास्तुकला को बंगलादार (Bangladar to Architecture) के नाम से भी जाना जाता है।
सारांश
इस्लामिक धर्म (Islamic Religion) से जुड़े भारत के यह पवित्र तीर्थ (This Holy Pilgrimage of India) , पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन पवित्र स्थलों पर सामान्य नागरिकों से लेकर विदेशी नागरिकों तक को आसानी से देखा जा सकता है। इस्लामिक त्यौहार (Islamic Festivals) और शुक्रवार के दिन यहां पर, नमाज पढ़ने वालों की भीड़ को आसानी से देखा जा सकता हैं। आज के इस लेख में हमनें भारत की सबसे ज्यादा देखने योग्य और Masjid Near Me के बारें में संक्षेप में जानकारी को उपलब्ध करवाया है।
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