Kandariya Mahadeva Temple: खुजराहों का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जिसमें भगवान शिव का निवास है। इस मंदिर के दर्शन हेतु लाखो की संख्या में पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर Chandela rulers के समयकाल में बनवाया गया था। इसलिए आप इस मंदिर में उस समय की आश्चर्यजनक कलाकृतियों को आज भी देख सकते हैं।
Kandariya Mahadeva Temple का इतिहास
भगवान Shiva को समर्पित यह मंदिर 1025-1050 ईस्वी में चंदेल शासक Raja Dhandev ने बनवाया था। इस भव्य और विराट मंदिर को बनवाने के पीछे एक खास मान्यता जुडी़ हुई है, कहा जाता है कि जब महमूद गजनवी और चंदेल शासकों का युद्ध हुआ तो उसमें भगवान शिव की कृपा के कारण ही Chandela ruler Mahmud Ghaznavi को परास्त कर पाएं थे। युद्ध विजय के बाद ही चंदेल शासकों ने इस अद्भुत मंदिर का निर्माण करवाया था।
Kandariya Mahadeva Temple वास्तुकला शैली
इस दिव्य मंदिर की वास्तुकला की बात की जाएं तो यह बहुत ही दिव्य है। इसको मंदिर की 1 बडी़ सी चोटी है जिसकी ऊंचाई 31 मीटर है। जो कि भगवान शिव के पवित्र निवास स्थान कैलाश पर्वत को दर्शाती है। और यह बडी़ सी चोटी अन्य छोटी-छोटी 84 चोटियों से घिरी है, जो कि Kailash Parvat के पास बनी अन्य चोटियों का प्रतीक मानी जा सकती है।
इस विराट मंदिर में एक गर्भगृह है, जो कि बलुआ पत्थर और गुलाबी रंग के सुंदर पत्थरों और अनेक तरह की सुंदर कलाकृतियों से सजा है। इस गर्भगृह में भगवान शिव का Sangmarmar से बना एक Shivling स्थापित है। जिसे लाखो लोग आकर पूजते हैं। इस मंदिर परिसर में जाने के लिए एक बडे़ से पत्थर को काटकर सीढिय़ों का निर्माण करवाया गया है। जिसके दोनों ओर 2 बडे़ खम्भे हैं जिन पर सुंदर कलाकृतियाँ हैं। अगर कोई इन कलाकृतियों को करीब से देखेगा तो वह भी उस समय की नायाब कारीगरी को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएगा।
दीवारों और खम्भो पर सजी मूर्तियाँ
इस मंदिर को बलुआ और गुलाबी रंग के पत्थर से बनी देवी-देवताओं, पशु-पक्षी और मानव आकृतियों की असंख्य छोटी-छोटी मूर्तियों से सजाया गया है। जिसमें आप सबसे पहले प्रवेश द्वार पर बनी खम्भों के दोनों ओर की मगरमच्छ की मूर्तियों को देख सकते है। इन मूर्तियों को बहुत ही बारीकी के साथ खम्भों पर तराशा गया है। यह मूर्तियां इतने सूक्ष्म ढ़ग से तराशी गयी हैं कि इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि यह मगरमच्छ जिंदा है। इस मंदिर में बनी अन्य मानव आकृतियों को भी बडी़ बारीकी से ताराशा है और उनके नाखून, बाल और अन्य बारीक हिस्सों को भी बेहतर ढंग से दिखाया गया है। मंदिर परिसर की दीवारों पर बनी मूर्तियाँ उस समय चलने वाली घटनाओं को भी दर्शाती हैं। यह भव्य महादेव मंदिर आज भी अपने भीतर अनेक रहस्य को समेटे हुए हैं।
मंदिर की बाहरी दीवारें
जैसा कि आपको हमने पहले ही बताया है कि इस मंदिर को अनेक मूर्तियों के द्वारा सजाया गया है, तो आप देख सकते हैं कि मंदिर परिसर की बाहरी दीवारों पर अनेक प्रकार की मूर्तियां हैं जिनमें नृतिकियां, सर्प कन्या, और भगवान शिव की परिवार सहित मूर्तियाँ को बनाया गया है इस मंदिर को पहली बार देखने से आप यही सोचेगें कि इस मंदिर में हिन्दू धर्म के सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं को स्थापित किया गया है। मंदिर की दीवारों पर बनी सभी मूर्तियां और कलाकृतियाँ समय की मार खाते हुए भी आज भी जीवंत लगती हैं।
मंदिर के अंदर
मंदिर के बाहर ही इतनी अधिक सुंदरता है तो भीतर कितनी होगी हर एक पर्यटक के मन में इस तरह का सवाल जरूर आता है जब भी मंदिर के भीतर पर्यटक प्रवेश करते हैं तो देखते हैं कि मंदिर के अंदर की दीवारों को जीवित कलाकृतियों से सजाया गया है। इसके अंदर मंडप की छत्त को 8 छोटे गोलों और उनके बीच एक बडें गोलों से सजाया है। इन गोलों को सुंदर फूलों और पत्तियों की कलाकृतियों से सजाया गया है। 1986 में UNESCO के द्वारा इस मंदिर को विश्व धरोहर सूची में स्थान दिया गया है।
यह भी जाने- Naina Devi Temple: नैना देवी मंदिर में माता आज भी करती है कई चमत्कार
New Year 2024: भारत के यह चमत्कारी मंदिर, जहां जाने मात्र से होती है सभी इच्छापूर्ति