Shiva Temples: हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण देव, सनातन के महादेव, बह्माण के रचियता आदि नामों से भगवान शिव का उल्लेख हिंदू धर्म (Hindu Religion) के प्राचीन वेद (Ancient Vedas) और पुराणों में मिलता है। तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कोयम्बटूर (Coimbatore) में बना आदियोगी स्टैच्यू (AdiYogi Statue) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। आज के इस लेख में हम आदियोगी कौन हैं? आदियोगी क्यों महत्वपूर्ण हैं? योग के लिए आदियोगी क्यों प्रसिद्ध हैं? आदि तथ्यों पर चर्चा करेंगें। आदियोगी के बारें में गहराई से जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े।
आदियोगी कौन हैं?
हिंदू धर्म में आदियोगी (Adiyogi) का बहुत ही महत्व है। हिंदू धर्म में आदियोगी (Adiyogi) को ही योग विद्या का जनक (Father of Yoga Vidya) कहा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव ही योग विद्या (Lord Shiva is Yoga Vidya) के जन्मदाता हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, आदियोगी के विषय में कहा जाता है कि आदियोगी ने अपने 7 शिष्यों को योग विज्ञान की सम्पूर्ण जानकारी (Complete Information About Yoga Science) दी थी। इन शिष्यों को सप्तर्षि (Saptarshi) के नाम से भी जाना जाता है। योग विज्ञान को जानने और समझने के लिए, भगवान शिव ने कयी प्रकार की तकनीकी और मुद्राओं का वर्णन किया था।
आदियोगी का जब वर्णन किया जाता है तो कहा जाता है कि उनके शरीर पर भस्म लिपटी है उनके केश उलझे और बिखरे हैं उनका चेहरा हमेशा शांत रहता है आदियोगी के शरीर पर सर्प लिपटे रहते हैं आदि। आदियोगी (Adiyogi) यानि कि भगवान शिव हमेशा ध्यान में मग्न रहते हैं। अध्यात्म के क्षेत्र में मुक्ति (liberation) या मोक्ष (Moksha) शिव अर्थात् आदियोगी हैं। योगिक परम्परा (Yogic Tradition) से आप अध्यात्मिक जगत (Spiritual World) में आसानीपूर्वक प्रवेश कर सकते हैं।
आदियोगी की पूजा
योग शास्त्र के जनक आदियोगी (Adiyogi) की पूजा अर्चना नहीं की जाती है। बल्कि भगवान शिव के आदियोगी स्वरूप को योग के माध्यम से ही नमन करना उचित है। आप भगवान शिव के आदियोगी स्वरूप को अनेक योग क्रियाओं के माध्यम से नमन कर सकते हैं। कोयंबटूर में बनी भगवान शिव की आदियोगी प्रतिमा आज के समय में एक दर्शनीय स्थल बन चुकी है। जहां पर ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के द्वारा योग विद्या के बारें में लोगों को जागरूक किया जाता है।
योग गुरू आदियोगी की प्रतिमा
ईशा फाउंडेशन के द्वारा ढाई वर्ष में तैयार आदियोगी प्रतिमा को दुनियां की सबसे बढ़ी प्रतिमा (World’s Tallest Statue) कहा जाता है। दुनियां के प्रथम योगी या आदियोगी (Adiyogi) की यह प्रतिमा, अध्यात्मिक जगत (Spiritual World) में प्रवेश करने या आगे बढ़ने के लिए एक बेहतरीन जगह है। इस प्रतिमा को गिनीज ऑफ बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) में शामिल किया गया है। 112 फीट ऊंची और 500 टन वजनी इस प्रतिमा को बनाने के लिए किसी भी प्रकार के सीमेंट और क्रंकीट का प्रयोग नहीं हुआ है।
टूरिस्ट स्पॉट है आदियोगी स्टैच्यू
ईशा फाउंडेशन के द्वारा बनाया गया, यह योग का स्थान कोयम्बटूर शहर में आज के समय एक बढ़िया टूरिस्ट प्लेस (Tourist Place) बन गया है। जहां पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त टूरिस्टो का आना जाना लगा रहता है। बड़े से मैदान में बनी भगवान शिव की आदियोगी प्रतिमा सभी धर्मों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस स्मारक की पृष्ठभूमि पर समृद्ध वनस्पति और वेल्लिंगिरी पहाड़ियां (Vellingiri Hills) स्थित हैं। जो इस स्थान को ओर भी आकर्षक बनाती हैं।
अध्यात्मिक जगत में प्रवेश के लिए बढ़िया स्थान
आदियोगी (Adiyogi) शिव की प्रतिमा कोयम्बटूर में स्थित है। जो कि दुनियां भर से लोगों को योग के विषय में अधिक जानने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रतिमा के पास एक कंक्रीट से बना परिसर भी है। जिसमें भगवान शिव का लिंगम स्वरूप मौजूद है। इस परिसर में बैठकर आप ध्यान और योग का अभ्यास कर सकते हैं। साथ ही आप सद्गुरु (Sadhguru) से मिलकर ध्यान, योग और आदियोगी के बारें में अधिक जान सकते हैं। ईशा फाउंडेशन प्रतिमा स्थल पर अनेक योग कार्यक्रम और सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन समय-समय पर करती है। यहां पर 3डी लेजर शो का मनोरम दृश्य का आनंद लें सकते हैं।
कोयम्बटूर में आदियोगी स्टैच्यू के पास घूमनें योग्य जगहें
आदियोगी शिव प्रतिमा के पास देखने लायक बहुत से खूबसूरत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं जहां पर आप दक्षिण भारत के खानें (South Indian Food) से लेकर, वहां के रहन-सहन, ऐतिहासिक स्मारक और प्राकृतिक स्थलो का दौरा कर सकते हैं –
कोवई कोंडाट्टम (Kovai Kondattam)
कोयम्बटूर में करने लायक चीजों (Things To Do in Coimbatore) में कोवई कोंडाट्टम एक बढ़िया जगह है। जहां पर आप गर्मियों के मौसम में अपने परिवार और बच्चो संग फैमिली पूल (Family Pool), किड्स पूल (Kids Pool), वॉटर स्लाइड्स (Water Slides), वॉटर फॉल्स (Water Falls), डैशिंग कार (Dashing Car), फैमिली ट्रेन (Family Train), जाइंट व्हील (Giant Wheel), चेयर-ओ-प्लेन (Chair-o-Plane), एक्वा डांस पाइरेट शिप (Aqua Dance Pirate Ship), मैरी-गो-राउंड (Merry-Go-Round),आदि का आनंद ले सकते हैं।

पेरूर पाटेश्वर मंदिर (Perur Pateeswarar Temple)
कोयम्बटूर से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक दीवारों और छत्त को प्राचीन कलाकृतियाँ, पेंटिंग, मूर्तियाँ और नक्काशी के द्वारा सजाया गया है। यह भव्य प्राचीन मंदिर पट्टीश्वरर या भगवान नटराज (Lord Nataraja) को समर्पित है। मंदिर की पृष्ठभूमि पर हरियाली और पहाड़ियों के सुंदर दृश्य को देखा जा सकता है। आदियोगी स्टैच्यू के बाद इस पवित्र स्थल की सैर अवश्य करनी चाहिए।

मरुधामलाई पहाड़ी मंदिर (Marudhamalai Hill Temple)
पश्चिमी घाट में स्थित मरुधामलाई पहाड़ी मंदिर (Marudhamalai Hill Temple in the Western Ghats) कोयम्बटूर में घूमनें योग्य स्थानों (Places to visit in Coimbatore) में से एक है। यह 500 फीट ऊँचाई पर स्थित है। यह पवित्र पहाड़ी मंदिर यहां से गुजरने वाले यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय है। स्थानीय कहावत के अनुसार कहा जाता है कि यात्रा करते समय इस मंदिर के दर्शन करने से आपको रास्ते में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। मरुधामलाई मंदिर मुरूगा देवता (God Muruga) को समर्पित है।

नीलगिरि बायोस्फीयर नेचर पार्क (Nilgiri Biosphere Nature Park)
नीलगिरि बायोस्फीयर नेचर पार्क में समृद्ध जैव विविधता पायी जाती है। यह पार्क भारत के तमिलनाडु (Tamil Nadu) , कर्नाटक (Karnataka) और केरल राज्य (Kerala States of India) तक फैला हुआ है। नीलगिरि पहाड़ियाँ (Nilgiri Hills) इस पार्क की जैव विविधता को समेटे हुए हैं। इस वन में नीलगिरि लंगूर (Nilgiri Langur), पतला लोरिस (Slender Loris), काला हिरण (Black Deer), बाघ (Tiger), गौर (Gaur), भारतीय हाथी (Indian Elephant) और अन्य वनस्पतियां पायी जाती हैं।

सिरुवानी झरना (Siruvani Water Falls)
कोयंबटूर शहर से लगभग 38 किलोमीटर दूर स्थित सिरुवानी बांध कोयम्बटूर आने वाले पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक स्थल (Natural Site) है। जहां पर वे पहाड़ की ऊंचाई से गिरते झरने की ध्वनि को सुनकर आनंद लेते हैं। सिरुवानी झरना परिवार के संग यात्रा (Family Trip), पिकनिक (Picnic) के लिए बढ़िया और तस्वीरों के लिए बढ़िया व्यू (Great View for Photos) उपलब्ध करवाता है।

सारांश
प्राचीन योग के महत्व को गहराई से समझने के लिए, आदि योगी स्टेच्यू (Adi Yogi Statue) के पास अवश्य जाना चाहिए। यहाँ आप ईशा फाउंडेशन के नि:शुल्क सत्र (Isha Foundation Free Sessions) में प्रवेश कर ध्यान, और सूक्ष्म विज्ञान को बिना किसी आडम्बर के वैनज्ञानिक ढंग से समझ सकते हैं। आज का यह लेख भगवान शिव के योगी रूप (Yogi form of Lord Shiva), आदियोगी (Adiyogi) को समर्पित है। जो आपको योग के जरिये इस भौतिक संसार (Physical World) के पार देखने की क्षमता प्रदान करते हैं।
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