Hawa Mahal: हैलो दोस्तों नमस्कार आइए जानते एक ऐतिहासिक (historical) धरोहर के विषय में। जो कि भारत देश में स्थित है। जिसका नाम हैं हवा महल (Hawa Mahal)। यह ऐतिहासिक धरोहर राजस्थान (Rajasthan) राज्य की राजधानी (Capital) जयपुर (Jaipur) में स्थित है। इसे गुलाबी नगर(Pink City) होने की पदवी भी प्राप्त है, आइए जानते है इस अनोखी इमारत के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां और पर्यटन की दृष्टि से क्या है इसमें खास और यहां पहुचनें के मार्गो (way to reach) के बारे में विस्तारपूर्वक इस लेख के माध्यम से –
Palace Of The Winds
हवा महल को ‘पैलेस ऑफ़ द विंड्स’ के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसमे सभी 953 खिड़कियों (windows) से हवा का बहाव हमेशा बना रहता है।
हवा महल कहा स्थित है? | Where is Hawa Mahal
हवामहल राजस्थान की राजधानी (capital of rajasthan) जयपुर में बड़ी चौपड़ पर महाराजा सवाई प्रताप सिंह (Maharaja Sawai Pratap Singh )द्वारा बनवाया गया था।
Architecture Of Hawa Mahala | हवा महल की वास्तकुला
इस महल की भव्यता आज भी बरकरार है इसकी वास्तुकला ,नक्काशी और इसमें बने झरोखें पर्यटकों (Tourists) को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इस आलीशान इमारत का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने अपने राज काल सन् 1799 में करवाया था। लाल चंद उस्ता (Lal Chand Usta) द्वारा डिजाइन किया गया यह भव्य महल मुकुट के समान है। यह अनोखी इमारत 5 मंजिला है और इसमें 953 छोटे-छोटे आकर्षक झरोखें उपस्थित हैं जो कि इस भव्य इमारत को 4 चांद लगाने का कार्य करते है। इसके निर्माण में चूना, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर (Stone) प्रयोग किया गया है।
हवा महल क्यों बनवाया गया | When was Hawa Mahal Built
कहा जाता है कि उस समय में स्त्रियों (Women) में पर्दा प्रथा का प्रचलन था। जिस कारणवश वे महल के बाहर होते नृत्य, तमाशा, समारोह और अन्य गतिविधियों को नहीं देख पाती थी। इस वजह से भी इस भव्य महल (Beautiful Palace) का निर्माण करवाया गया है। इस भव्य महल से राजसी स्त्रियां पर्दे में रहकर भी बाहर होते सभी समारोह का आनंद प्राप्त करती थी। रात्रि के समय राजसी लोग महल (Mahal) के सबसे ऊपरी भाग से गुलाबी नगर (Gulabi Nagar) की जगमगाती खूबसूरती का आनंद प्राप्त किया करते थे।
हवा महल में झरोखें
इसकी सभी छोटी-बड़ी खिड़कियों पर बलुआ पत्थर द्वारा आकर्षक और खूबसूरत नक्काशीदार जालियाँ, कंगूरे और गुम्बद बने हुए हैं। जो कि राजपूत और मुगल शैली का बेजोड़ मेल हैं जिन्हें देखने से आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे, इन खिड़कियों पर लगे ग्लास को बेल्जियम से मंगवाया गया था।
इसमें अनेको छोटे-बड़े कक्ष भी हैं, जिनका अलंकरण खम्भों व गलियारों द्वारा किया गया है।
हवा महल में आने जाने के मार्ग
इसमें आने और जाने के लिए केवल दो ही मार्ग उपस्थित है, जो कि इस महल में प्रवेश के लिए, महल के दायीं व बायीं ओर से उपस्थित है,जिन्हें आनंद पोल (Anand pol) और चांद पोल (Chand Pol) नाम से जाना जाता है। सिटी पैलेस (City Palace) की ओर से ही हवा महल में शाही दरवाजे से प्रवेश किया जा सकता है, क्योंकि यह महल सिटी पैलेस का ही एक अंग है।
सीढ़ियां नही है
आपको जानकर हैरानी होगी की इस पांच मंजिला इमारत में ऊपर जाने के लिए सीढियां नही बनायी गयी है, बल्कि सीढ़ियो के स्थान पर रैम्प की व्यवस्था है। कहा जाता है, कि रानी महारानियो को अपने भारी-भरकम लहंगौ के साथ असुविधा न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए ही इस भव्य महल में सीढियों की जगह रैम्प की व्यवस्था की गयी है।
हवा महल की मंजिलों के नाम
इस राजसी महल की पहली मंजिल को शरद मंदिर (Sharad Mandir) के नाम से जाना जाता है ऐसा इसलिए ,क्योंकि शरद ऋतु आने पर इस मंजिल में महल का शरद उत्सव बड़े ही हर्ष और उमंग के साथ से मनाया जाता है।
दूसरी मंजिल को रतन मंदिर (Ratan Mandir) नाम से जाना जाता है। इस मंजिल पर ग्लास वर्क (Glass Work) द्वारा अद्भुत कार्य किया गया है, और इस मंजिल पर बनी खिडकियां जिनमें रंग-बिरंगे कांच को लगाया गया है। सुबह की हल्की धूप पड़ने पर रंग-बिरंगी रोशनी के साथ इसकी शौभा बड़ाती है।
इस मंजिल पर राजसी स्त्रियों के लिए अनेको झरोखें हैं, जिनसे वे पर्दे में रहकर भी महल के बाहर होती गतिविधियों और समारोह आदि का आनंद लेती थी।
हवामहल की तीसरी मंजिल को विचित्र मंदिर (Vichitra Mandir) के नाम से जाना जाता है।चौथी मंजिल को प्रकाश मंदिर (Prakash Mandir) के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस पर सूर्य का प्रकाश सीधे पडता है। इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) को समर्पित गोवर्धन कृष्ण भगवान (Govardhan Temple) का मंदिर भी है।पांचवी मंजिल को हवा मंदिर (Hawa Mandir) के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस जगह पर हवा (Air) भरपूर मात्रा में आती है। यहां से पर्यटक (Tourist) सारे जयपुर के सुंदर नजारे को देख सकते हैं।
गर्मीयों में महल का तापमान
यह महल महाराजा जय सिंह के ठहरने और विश्राम करने की पसन्दीदा जगह (Favourite Place) हुआ करती थी। क्योंकि इसकी आन्तरिक साज-सज्जा और कांच के द्वारा सजाए गये झरोखें बेहद खूबसूरत है। इसके सभी कक्षों के आगे की ओर में स्थित 953 खिड़कियों से हमेशा ही ठण्डी हवा आती रहती हैं ,गर्मियों में गर्मी से निजात पाने के लिए सभी कक्षों के सामने के दालान में फव्वारों की व्यवस्था है। जिससे टकराकर हवा ठण्डी हो जाती है, और महल के तापमान को ठण्डा रखती है।
हवा महल में खास चींजे
यह भव्य महल दुनिया का ऐसा महल हैं जो बिना किसी नींव पर कयी वर्षों (Years) से बना हुआ है इस महल में सीढियों की जगह रैम्प बनाए गए है। जो कि इसे सामान्य महलों से अलग बनाते है। इसको भगवान कृष्ण के मुकुट की तरह बनाया गया है इस भव्य इमारत को हवा महल के नाम से इसलिए भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें अनेको झरोखें हैं जिनसें इस महल में हवा चारों ओर प्रवाहित होती रहती है, इन झरोखों पर गुलाबी बलुआ पत्थर से अद्भुत कारीगरी की गयी हैं।
मरम्मत और नवीनीकरण
1.इसके रखरखाव की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार का पुरातात्विक विभाग करता है।
2.50 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद साल 2005 में इसकी भव्यता को बनाए रखने के लिए राजस्थान सरकार ने इसकी मरम्मत के लिए लगभग 45679 लाख रुपये खर्च किए थे।
हवा महल कैसे पहुंचे
जयपुर पहुचनें के सभी विकल्प मौजूद है, बस ,ट्रेन, हवाई जहाज और बाइक से भी यहां पहुंचा जा सकता है। जयपुर से आप स्थानीय परिवहनों (ओटो ,रिक्शा, टैक्सी ) द्वारा हवा महल जा सकते है।
हवा महल खुलने का समय
हवा महल सोमवार से रविवार तक सभी दिन सुबह 9:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक खुला रहता है।
निष्कर्ष | Hawa Mahal
इस आर्टिकल में हमनें जयपुर में घूमने की जगह हवा महल (The Hawa Mahal Jaipur In India In Hindi) के बारे में विस्तृत तरह से बताया हैं, जो यात्रा को सरल और सुगम बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा। हमें आशा है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा।
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